Wednesday, May 26, 2010

alvida Durban

 

  सारा आलम ही  कुछ बिखरा बिखरा सा लगता है
  शौक से बनाया आशियाँ उजड़ा उजड़ा सा लगता है
नए अनुभवों  को संजो चलना  है अब ऐसा लगता है   
 अलविदा कहने का वक्त आया है अब  ऐसा लगता है 
  
 आये थे एक अजनबी से जहाँ में पर यहाँ हमने  बहुत कुछ  पाया  है
 याद रहेंगे यहाँ बिताए पल और कुछ  मित्रों में जो अपनापन पाया है
 भारतीय संस्कृति की मज़बूत जड़ों को फलते फूलते हुए यहाँ पाया है 
गाँधी जीवन शैली औ दर्शन को देखने का एक नया नजरिया पाया है
देखे हैं यहाँ  विभिन्न रंग  और  काले  गोरों की पहचानी बारीकियां हैं
प्राकृतिक छटातो  मनभाई है  और  जानवरों से भी बढ़ी नजदीकियां हैं

 खो से गए थे हम,  इस सुंदर शहर ने हमें लुभाया है
 पर क्या जीवन कभी थमा है  वक्त ने याद दिलाया है

      दूर  हैं नयी मंजिलें और  एक  नया आस्मां   हैं
       च लते हैं अब  हम जलाते  वहीँ  अपनी शमा हैं
  अलविदा  कहने का वक्त आया हैअब ऐसा लगता है