Wednesday, April 8, 2009

विदेश में अपना देस

आज सोचा हिन्दी में लिखें । अपनी भाषा अपना देश बाहर रहकर कुछ ज़्यादा ही याद आता है. यहाँ की सूनी सूनी सड़कें देखकर कानपूर का भीड़ वाला ट्रैफिक, अचानक सड़क पर प्रगट हुई गायें याद आ जाती हैं ,और अपना आई .आई टी.का कैम्पस भी बहुत याद आता है । अपनों से न मिल पाने की विवशता मन को उदास कर देती है. पर यहाँ कुछ अच्छे मित्र भी मिल गए है जिनके साथ हंस बोलकर घूम फिरकर समय बीत जाता है।
वैसे आज जिस बारे में मैं बात कर रही हूँ वह है यहाँ DURBAN में बसे लोगों की भारतीयता और धार्मिकता . वो भारतीय जो सैकडों वर्ष पूर्व मजदूरों के रूप में लाये गए थे आज यहाँ के आर्थिक और सामाजिक जीवन में अपना एक स्थान बना चुके हैं , शायद यह सब सम्भव हुआ है धर्मं के प्रति उनकी आस्था से। यहाँ बसे भारतीय बोली और रहन सहन में चाहे कुछ अलग लगें पर हिंदू धर्म में उनकी अटूट श्रद्धा है और भारतीयता के प्रति असीम प्रेम. यहाँ अनेक मन्दिर हैं , उत्तर भारतीय , गुजराती दक्षिण भारतीय आदि सभी प्रकार के. इस्कान मंदिर भी है। सभी मंदिरों में विधि विधान से पूजा होती हैऔर लोग घरों में सुबह शाम दिया जलाते हैं। रेडियो पर भी २ चैनल हैं जिनमें हिन्दी , तमिल, तेलगु में गाने और भजन आदि आते रहते हैं ।

पिछले रविवार को एक मित्र ने अपने यहाँ सत्यनारायण की कथा का आयोजन किया था. वहां मन्दिर से एक गुजराती महिला पंडित आई थीं . उन्होंने जिस विधि विधान से पूजा करवाई और जिस तरह हिन्दी,संस्कृत का शुद्ध उचारण किया उससे हम सभी मंत्र मुग्ध थे। यहाँ गुजराती , हिंदी , तमिल और तेलगु भाषाएँ बोली और सीखी जाती हैं और इसके अतरिक्त अपनी अद्भुत मिठास लिए भोजपुरी भी सुनाई देती है. रेडियो पर भी भोजपुरी में कार्यक्रम आते हैं। एक टीवी चैनल भी है जो भारतीय भोजन, फैशन तथा अन्य कर्याक्रोमों को समर्पित है ।
भारतीय भोजन तो सारी दुनिया में ही लोगों को भाता है पर येहाँ कुछ अधिक ही पसंद किया जाता है। येहाँ अनेक भारतीय रेस्टोरंट है जो न केवल भारतीयों में बल्कि सभी में बहुत लोकप्रिय हैं. भारतीय वेश भूषा भी बहुत पसंद की जाती है और अनेक महिलाएं बिंदी और सिन्दूर से सुशोभित दिखती हैं । साडी और सलवार सूट इनके प्रिय परिधान हैं और छोटे छोटे आयोजनों में भी चमचमाती सारियां दिख जाती हैं.
बॉलीवुड के प्रति लोगों के आकर्षण का तो कहना ही क्या है. थिएटर में सभी मूवीस लगती हैं और कई मूवीस जो इंडिया में शायद एक हफ्ते भी नहीं चल पाती हैवो यहाँ महीनो चल जाती हैं. अक्सर हिंदी गानों पर डांस प्रोग्राम होते रहते हैं.शास्त्रीय डांस और म्यूजिक के भी कार्यक्रम अक्सर होते हैं. कुछ लोग प्रशिक्षण लेने भारत भी जाते हैं.
और आज कल तो जोर शोर से आई पी एल का इंतजार है।
तो यह है विदेश में बसा अपना देस.

1 comment:

seema said...

bahut accha article hai dil ko choo gaya india mai rahne wale yeh sochte hai ki jo bhartiy bahar jata hai woh bahrat ko bhool jata hai per is article ko padh ker laga ki bahar jane wala her bharti apna dil yahi ki galiyo mai chod jata hai